Friday 14 November 2008

काका काकी दहेज लेलथि

कक्का भोरे बिदा भेलाह
जीट-जाट आ कान्हि छटा
पुछलहुँ कक्का एना कतए
कहल जे जाइ काल टोक नञि ने
अबए छी कने बजार भेने
मीठ पकवान आ मिठाई नेने
एम्हर काकी घरकेँ नीपल
सर सफाई कका चमका रहल
कोन अवसर जे एना भ’ की रहल
पुछलहुँ जे काकीसँ कहलनि
बौआ आइ घटक आबि रहल

अच्छा तँ दोकानक सजावट छी ई
ग्राहकक स्वागतक तैयारी छी ई
सभ किछु आइ नव तेँ लागि रहल
भाइजीयोक मुँह चमकि रहल
कान्हि छटाक’ केश रँगा क’
पान चबाबैत कुर्तामे बान्हल
जतेक बढ़िया समान ततबे बढ़िया दाम
बनीमाक राज कक्काक’ खूब नीकसँ बुझल

घटक जी अएला निहारि क’ देखला
ठोकि बजा क’ सभ किछु परखला
भाइजीपर ओ’ फेर बोली लगेलथि
मोल तोल केँ ल’ क’ खूब भेल घमर्थन
सवा चारि लाखमे भेल बात पक्का
देखू आजु हम्मर भैयि बिकेलथि
लागनिक सूद-मूर सभ उप्पर भेलन्हि
जमा-पूँजीकेँ खूब नीकसँ भजओलथि
कक्का काकी आइ हमर दहेज लेलथि
निमुख बरद जेकाँ भैय्या बिकेलथि
कक्का काकी आइ हमर दहेज लेलथि

2 comments:

Mithila Putra said...

Bahut Nik Kriti aaichh ..ahina likhait rahu aa Samaj me sudhaar anbak prayas jaari rakhu !!!

Manish said...

thanks for this

Hum maithil ! Hamar mithila