रस्ता पर ओ भिख मांगिरहल
फाटल गुदरि मे लटपटायल
जाढ स कपकपाइत शरीर
थरथराइत हाथ आश स भरल
बिना बजोने जेना ओ बाजिरहल
आंखि स ऽ कहानि गाबिरहल
भुखले सुतल कतेको दिन सऽ
आंत मे आंत अछि ओकर सटल
भाबुक भऽ दु पाइ खसादेलौ
हर्षकऽ सिमा नहि रहलै ओकर
क्रितग्य भऽ मुसकियैत छल
नोर बहा धन्यबाद दैत रहल
आगा बढि मुडिकऽ जे देख्लौन
हजारो हाथ हुमरा दिस बढल
फाटल गुदरि मे सब कियो
लाचार भऽ किछु मांगिरहल
अतबे ज कियो कम त कियो बेसि
लाचारि आ बिबसता सऽ भरल
किछु नै किछु सब मांगिरहल
सब गोटे अछि भिखमंगे बनल
Saturday, 29 March 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
namaskar ajit ji ham ranjan bhandari jaleshwor sa abhi qatar me ,. apne ke blog dekhlau bahut achha lagal apne sa mitrata karabak bahut ichha bhel tai laka apne ke comment ke tru massage bhejlau
agar apne ke bhi hamara sa baat karbak ichha hoi ta hamar yahoo id rnjnbhandari@yahoo.com par contact karab
abhi k lagi jay mithila
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
---
आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
---
अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
---
आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
---
अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
Very nice ! bahut accha likha hai!
You are Welcome to my blog!
www.chitrasansar.blogspot.com
Post a Comment